Oct 14, 2024
अब किसी से भी शिकायत न रही...दिल हो जाएगा खुशनुमा, अगर पढ़ ली निदा फाज़ली की ये शायरियां
Ritu rajअब किसी से भी शिकायत न रही,जाने किस किस से गिला था पहले।
अपनी मर्ज़ी से कहां अपने सफ़र के हम हैं, रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।
एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक,जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा।
ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है, जिस जगह रहिए वहां मिलते-मिलाते रहिए।
इस अंधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी, रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही।
कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमां नहीं मिलता।
कहता है कोई कुछ तो समझता है कोई कुछ,लफ़्ज़ों से जुदा हो गए लफ़्ज़ों के मआनी।
ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को, बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख।
किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं, तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो।
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