Feb 27, 2024

बड़े घर की बहुएं पहनती हैं ये खास साड़ी, 8 दिन में बनकर होती है तैयार

Srishti

लखनऊ की चिकनकारी

'शहर ए अदब' लखनऊ की चिकनकारी भारत ही नहीं दुनियाभर में मशहूर है। इसकी कढ़ाई जितनी खूबसूरत दिखती है, इसका काम उतना ही मेहनत वाला है।

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8 दिन

चिकनकारी की कढ़ाई इतनी बारीक होती है कि 5 मीटर की एक साड़ी बनाने में 8 दिन लग जाते हैं।

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एंटी- एजिंग पाउडर

जालीदार कढ़ाई

कपड़े पर जालीदार कढ़ाई करना मुश्किल है और ये कढ़ाई महंगी होती है। इसलिए अब नेट पर कढ़ाई करके कपड़े पर पैच लगा दिया जाता है।

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कच्चे धागे

चिकनकारी के लिए ज्यादातर कच्चे धागे का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन फैब्रिक के हिसाब से भी धागा बदल जाता है।

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सूती कच्चा धागा

जॉर्जेट और सिल्क के कपड़े पर रेशम के धागे से कढ़ाई होती है, लेकिन चिकनकारी के लिए सूती कच्चा धागा खास माना जाता है।

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खास कढ़ाई

चिकनकारी की खास कढ़ाईयों के नाम कील, कंगन, घास पत्ती, मुर्री, जंजीरा, टेपचि, बखिया फंदा, पेचनी, बिजली और काथा है।

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कागीगर और मजदूरी

इतनी मेहनत के बावजूद कारीगरों को मजदूरी बहुत कम मिलती है, जबकि कपड़ों की कीमत हजारों- लाखों में होती है।

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महाशिवरात्रि की साड़ी

​हल्का शैडो वर्क ​

हल्के शैडो वर्क की कढ़ाई के लिए मजदूरों को 50 रुपये मिलते हैं, वहीं फैंसी काम में ज्यादा से ज्यादा 250-300 रुपये मिल जाते हैं।

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कौन बनाता है?

चिकनकारी का अधिकतर काम घरेलू महिलाओं से करवाया जाता है। पुरुष कारीगर सिर्फ कुर्ते की सिलाई और डिजाइन के छापे जैसे काम करते हैं।

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