Dec 7, 2023
चाणक्य नीति को ज्ञान का भंडार कहा जाता है, जिसमें आचार्य चाणक्य ने सफलता प्राप्त करने के लिए कई रहस्यों को बताया है।
Credit: canva
चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं कि कैसे एक गधा विद्वान और धनवान बनने की शिक्षा देता है।
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चाणक्य नीति के छठे अध्याय का श्लोक है- सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति।सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात्॥
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इस श्लोक का अर्थ है- आलस्य से दूरी, मौसम की चिंता न करना और संतोषपूर्ण रहना।
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गधे को बोझ ढोने वाले जानवर के रूप जाना जाता है। लेकिन उसमें ऐसी खूबियां भी हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं कर सकते और वह है उसके मेहनत करने की क्षमता।
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चाणक्य कहते हैं कि गधा कभी आलस्य नहीं करता और अधिक थक जाने पर भी बोझ ढोता रहता है।
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गधे को किसी भी मौसम से कोई फर्क नहीं पड़ता। वह मौसम की चिंता किए बगैर अपना काम करता रहता है।
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ठीक ऐसे ही व्यक्ति को भी अपना काम करने के लिए मौसम का बहाना बनाकर उसे टालना या बैठना नहीं चाहिए।
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गधे का तीसरा गुण है संतुष्ट रहना, यह गुण मनुष्य में बहुत कम होती है।
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