Feb 16, 2025
चाणक्य नीति को ज्ञान का भंडार कहा जाता है, जिसमें आचार्य चाणक्य ने सफलता पाने के लिए कई सारे रहस्यों को बताया है।
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आचार्य चाणक्य के अनुसार भगवान ने हर जीव को कुछ न कुछ ऐसे गुण जरूर दिए हैं, जिससे मनुष्य काफी कुछ सीख सकता है।
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गधे में भी कई सारी ऐसी क्वालिटी होती है, जो इंसानों को जरूर सीखनी चाहिए। चाणक्य नीति से जानते हैं कि कैसे गधा विद्वान बनने की शिक्षा देता है।
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चाणक्य नीति के छठे अध्याय के श्लोक हैं-
सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति।
सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात्॥
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इस श्लोक का मतलब है- आलस्य से दूरी, मौसम की चिंता न करना और संतोषपूर्ण रहना।
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गधा एक बोझ ढोने वाला जानवर है, लेकिन उसमें एक ऐसी खूबी है जिसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं और वो है उसके मेहनत करने की क्षमता।
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चाणक्य ने बताया है कि गधा थकान के बाद भी बोझ ढोने से पीछे नहीं हटता है। इंसानों को भी इसी तरह पूरी लगन से काम करना चाहिए, इससे असफलता छू भी नहीं सकेगी।
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आचार्य चाणक्य के अनुसार, गर्मी हो या सर्दी गधा हर मौसस में डटा रहता है और अपना काम पूरा करता है। उसी तरह इंसानों को भी खबराना नहीं चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए।
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चाणक्य बताते हैं कि गधे को जितना मिलता है वो उतने में संतुष्ट कहते हैं, वैसे ही इंसानों को भी ज्यादा की चाह में दुखी नहीं रहना चाहिए।
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