Mar 17, 2024
आचार्य चाणक्य का कहना है कि भगवान ने हर जानवर को ऐसे कई गुण दिए हैं, जिनसे मनुष्य कुछ न कुछ जरूर सीख सकता है। गधे में भी ऐसी कई क्वालिटीज हैं जिनसे इंसानों को जरूर सीखना चाहिए।
Credit: canva
चाणक्य नीति को ज्ञान का भंडार कहा जाता है, जिसमें आचार्य चाणक्य ने सफलता प्राप्त करने के लिए कई रहस्यों को बताया है।
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चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं कि कैसे एक गधा विद्वान बनने की शिक्षा देता है।
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चाणक्य नीति के छठे अध्याय का श्लोक है- सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति।सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात्॥
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इस श्लोक का अर्थ है- आलस्य से दूरी, मौसम की चिंता न करना और संतोषपूर्ण रहना।
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गधे को बोझ ढोने वाले जानवर के रूप जाना जाता है। लेकिन उसमें ऐसी खूबियां भी हैं, जिसे नजरअंदाज नहीं कर सकते और वह है उसके मेहनत करने की क्षमता।
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आचार्य चाणक्य ने कहा है कि गधा थकान के बाद भी बोझ ढोने से पीछे नहीं हटता है। इंसानों को भी इसी तरह से पूरी लगन से अपने कामकाज में जुटे रहना चाहिए, इससे असफलता छू भी नहीं सकेगी।
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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि चाहे गर्मी हो या सर्दी गधा हर मौसम में डटा रहता है और अपने काम को पूरा करता है। उसी तरह से इंसानों को भी परिस्थिति से कभी घबराना और हार नहीं माननी चाहिए।
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चाणक्य के मुताबिक गधे को जितना मिलता है वह उतने में संतुष्ट रहता है, इंसानों को भी वैसे ही संतुष्ट रहना चाहिए। ज्यादा की चाह में दुखी नहीं रहना चाहिए।
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