Oct 23, 2024
कुछ न कुछ बोलते रहो हम से, चुप रहोगे तो लोग सुन लेंगे.., फहमी बदायूंनी के चुनिंदा शेर
Suneet Singhमैं ने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा, और अपने पते पे भेज दिया
परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के, वफ़ा करने की नौबत आ गई है
ख़ुशी से काँप रही थीं ये उँगलियाँ इतनी, डिलीट हो गया इक शख़्स सेव करने में
काश वो रास्ते में मिल जाए, मुझ को मुँह फेर कर गुज़रना है
ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला था, उस ने सर्कस में नौकरी कर ली
जब तलक क़ुव्वत-ए-तख़य्युल है, आप पहलू से उठ नहीं सकते
मर गया हम को डाँटने वाला, अब शरारत में जी नहीं लगता
टहलते फिर रहे हैं सारे घर में, तिरी ख़ाली जगह को भर रहे हैं
कटी है उम्र बस ये सोचने में, मिरे बारे में वो क्या सोचता है
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