Apr 28, 2024

'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला..', सीधे रूह को छूते हैं फराज के ये हिंदी शेर

Suneet Singh

अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर, चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए।

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गमछे का दिलचस्प इतिहास

बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़', क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ।

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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें, जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।

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अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम, ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम।

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तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़', दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।

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दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है, और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता।

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आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा, वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा।

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इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की, आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की।

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अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो, आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए।

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