Jan 29, 2025
'गांधी' हो या 'ग़ालिब' हो ख़त्म हुआ दोनों का जश्न, आओ उन्हें अब कर दें दफ़्न ख़त्म करो तहज़ीब की बात
Credit: facebook
Credit: facebook
शब-ए-एशिया के अंधेरे में सर-ए-राह जिस की थी रौशनी, वो गौहर किसी ने छुपा लिया वो दिया किसी ने बुझा दिया
Credit: facebook
Credit: facebook
Credit: facebook
जो शहीद-ए-ज़ौक़-ए-हयात हो उसे क्यूँ कहो कि वो मर गया, उसे यूँ ही रहने दो हश्र तक ये जनाज़ा किस ने उठा दिया
Credit: facebook
Credit: facebook
'गांधी' हो या 'ग़ालिब' हो दोनों का क्या काम यहां, अब के बरस भी क़त्ल हुई एक की शिकस्ता इक की ज़बाँ
Credit: facebook
Credit: facebook
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स