Jan 29, 2025

गांधी जी पर 10 मशहूर शेर: रहे न रहे इस में जान गांधी की, न रुक सकी न रुकेगी ज़बान गांधी की

Suneet Singh

​गांधी हो या ग़ालिब हो..​

'गांधी' हो या 'ग़ालिब' हो ख़त्म हुआ दोनों का जश्न, आओ उन्हें अब कर दें दफ़्न ख़त्म करो तहज़ीब की बात

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​तिरे मातम में शामिल हैं ज़मीन ओ आसमां वाले, अहिंसा के पुजारी सोग में हैं दो जहां वाले​

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​​शब-ए-एशिया के अंधेरे में..​​

शब-ए-एशिया के अंधेरे में सर-ए-राह जिस की थी रौशनी, वो गौहर किसी ने छुपा लिया वो दिया किसी ने बुझा दिया

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​सुना रहा हूं तुम्हें दास्तान गांधी की, ज़माने-भर से निराली है शान गांधी की​

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​वही महात्मा वही शहीद-ए-अम्न-ओ-आश्ती, प्रेम जिस की ज़िंदगी, ख़ुलूस जिस का पैरहन​

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​जो शहीद-ए-ज़ौक़-ए-हयात हो..​

जो शहीद-ए-ज़ौक़-ए-हयात हो उसे क्यूँ कहो कि वो मर गया, उसे यूँ ही रहने दो हश्र तक ये जनाज़ा किस ने उठा दिया

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​मिरे गांधी ज़मीं वालों ने तेरी क़द्र जब कम की, उठा कर ले गए तुझ को ज़मीं से आसमां वाले​

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​​अब के बरस भी क़त्ल हुई..​​

'गांधी' हो या 'ग़ालिब' हो दोनों का क्या काम यहां, अब के बरस भी क़त्ल हुई एक की शिकस्ता इक की ज़बाँ

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​रहे रहे न रहे इस में जान गांधी की, न रुक सकी न रुकेगी ज़बान गांधी की​

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