Jul 7, 2023
सावन के आते ही घेवर की मिठास घुलने लगती है। घेवर राजस्थान और ब्रज क्षेत्रों की प्रमुख पारंपरिक मिठाई है।
Credit: Istock
घेवर बरसात के दिनों में बनाया जाता है और इसे लोग खूब पसंद करते हैं। रक्षाबंधन के पर्व पर घेवर काफी इस्तेमाल होता है।
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घेवर भारत में कब और कैसे आया, इसको लेकर कई कहानियां हैं। कहा गया है कि घेवर भारत में पर्शिया से आया, पर इसके भी कोई पक्के प्रमाण नहीं हैं।
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राजस्थान के कुछ मिठाई वाले इसे ईरान की एक मिठाई से प्रेरित बताते हैं। राजस्थान में घेवर 12 महीने मिलता है।
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जानकार बताते हैं कि घेवर वाजिद अली शाह के वक़्त में पहुंचा और फिर वहां भी उतने ही चाव से खाया जाने लगा।
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घेवर को इंग्लिश में हनीकॉम्ब डेटर्ट के नाम से जाना जाता है।
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मैदा और अरारोट के घोल को सांचों में डालकर घेवर बनाया जाता है और फिर इसे चाशनी में डूबाया जाता है।
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घेवर स्वाद में भी अलग-अलग होता है। एक तो मीठा और दूसरा फीका। वहीं बाजार में घेवर की कई तरह की वैरायटी मौजूद है।
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अच्छी किस्म के घेवर की कीमत 400 रुपये किलो से शुरु होती है।
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