Jun 25, 2024

Gulzar Poetry: दिल के सारे ग़म हवा में उड़ा देंगे गुलजार के ये बेहतरीन शेर

Suneet Singh

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा, वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता।

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सफर सूटकेस का

यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं, सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी।

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ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी थी, उन की बात सुनी भी हम ने अपनी बात सुनाई भी।

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एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे, दिल से इक ख़ौफ़ सा गुज़रा है बिछड़ जाने का।

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आग में क्या क्या जला है शब भर, कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है।

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काँच के पार तिरे हाथ नज़र आते हैं, काश ख़ुशबू की तरह रंग हिना का होता।

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नाख़ुदा देख रहा है कि मैं गिर्दाब में हूँ, और जो पुल पे खड़े लोग हैं अख़बार से हैं।

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शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं, चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में।

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चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई, कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ।

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