Jan 21, 2024
व्यक्ति अपने गुणों और कर्मों से ही पहचान बनाता है। भगवान राम भी अपने स्वभाव, गुणों और कर्मों के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए।
Credit: canva
भगवान राम ने राजपाट छोड़ 14 साल वनवास में बिताएं, लेकिन फिर भी एक श्रेष्ठ राजा कहलाते हैं क्योंकि उन्होंने सत्य, दया, करुणा, धर्म और मर्यादा के मार्ग पर चलते हुए राज किया।
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आज भी बड़े-बुजुर्गों के बीच यदि संस्कृति और सदाचार की बात होती है तो भगवान राम का ही नाम लिया जाता है।
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भगवान राम अनेकों गुणों के धनी हैं, लेकिन यदि आप अपने जीवन में उनके 5 गुणों को भी अपना लेंगे तो आपका जीवन सफल हो जाएगा।
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भगवान श्रीराम के विशेष गुणों में एक है सहनशीलता और धैर्य, इसे लोगों को अपनाना चाहिए। आजकल तो लोगों में धैर्य नाम की चीज नहीं है। उन्हें हर चीज शीघ्र पाने की आदत होती है। फिर चाहे वह धन हो या सफलता।
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दयालु व्यक्ति ही अपनी छवि को निखार पाता है। दयालु स्वभाव मानव और पशु सभी के प्रति होनी चाहिए। भगवान राम ने अपने इसी गुण के कारण सभी को छत्रछाया में लिया।
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भगवान राम राजा और एक कुशल प्रबंधक होते हुए भी सभी को साथ लेकर चले। इसी नेतृत्व क्षमता के कारण समुद्र में पत्थरों से सेतु का निर्माण हो सका।
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आज भाई-भाई में लड़ाई-झगड़े घर-घर में होते हैं। परिवार में कलह-क्लेश की यह भी एक अहम वजह है। ऐसे में आपको भगवान राम की तरह एक आदर्श भाई की भूमिका निभाने की जरूरत है। भगवान राम के लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के प्रति प्रेम, त्याग और समर्पण के कारण ही उन्हें आदर्श भाई कहा जाता है।
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भगवान राम ने मित्रता का रिश्ता भी दिल से निभाया। केवट, सुग्रीव, निषादराज और विभीषण सभी उनके परम मित्र थे। मित्रता निभाने के लिए भगवान राम ने कई बार स्वयं भी संकट झेले।
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