Ritu raj
Mar 07, 2025
सारे गुलशन में तुझे ढूँढ के मैं नाकारा,
अब हर इक फूल को ख़ुद अपना पता देता हूँ,
कितने चेहरों में झलक तेरी नज़र आती है,
कितनी आँखों को मैं बेबात जगा देता हूँ
Credit: Instagram
कितना मुश्किल है ख़ुद को ही ख़ुद के
दिल की सीपी में ढाल कर रखना
आप के पास तो लाखों होंगे
मेरे वाला सँभाल कर रखना...!
Credit: Instagram
हमें क्या ग़म है ये ग़म को पता न चला,
हमारी चश्म-ए-नम को पता न चला,
किसी के आने की हम को ख़बर न हुई,
किसी के जाने का हम को पता न चला
Credit: Instagram
तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता
कई जन्मों से बंदी है, बग़ावत क्यों नहीं करता
कभी तुमसे थी जो, वो ही शिकायत है ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं करता
Credit: Instagram
नहीं कहा जो कभी, ख़ामख़ा समझती है
जो चाहता हूँ मैं कहना कहाँ समझती है?
सब तो कहते थे ताल्लुक में इश्क़ के अक्सर
आँख को आँख, ज़बाँ को ज़बाँ समझती है
Credit: Instagram
चंद चेहरे लगेंगे अपने से,
ख़ुद को पर बेक़रार मत करना,
आख़िर में दिल्लगी लगी दिल पर,
हम न कहते थे प्यार मत करना
Credit: Instagram
गीत ढला जब पोर-पोर ने पीड़ा को जपना समझा
ख़ुद का दर्द सहज गया तो दुनिया ने अपना समझा
शाल-दुशालों में लिपटा यह अक्षर जीवन कविता का
हमने नींद बेचकर पाया दुनिया ने सपना समझ���
Credit: Instagram
आप की दुनिया के बेरंग अँधेरों के लिए
रात भर जाग कर एक चॉंद चुराया मैंने
रंग धुँधले हैं तो इनका भी सबब मैं ही हूँ
एक तस्वीर को क्यूँ इतना सजाया मैंने
Credit: Instagram
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो
दूरी है, समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती
अधूरी है, समझता हूँ,
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये
मुमकिन है नहीं, लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे
ज़रूरी है, समझता हूँ
Credit: Instagram
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स