Sep 14, 2024

'फिर मेरी याद आ रही होगी, फिर वो दीपक बुझा..', दिल जीत लेंगी कुमार विश्वास की ये कविताएं

Suneet Singh

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।

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उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे, वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे।

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दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए, जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए।

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अपने ही आप से इस तरह हुए हैं रुख़्सत, साँस को छोड़ दिया जिस सम्त भी जाना चाहे।

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मिरा ख़याल तिरी चुप्पियों को आता है, तिरा ख़याल मिरी हिचकियों को आता है।

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जब से मिला है साथ मुझे आप का हुज़ूर, सब ख़्वाब ज़िंदगी के हमारे सँवर गए।

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जिस्म चादर सा बिछ गया होगा, रूह सिलवट हटा रही होगी।

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फिर मिरी याद आ रही होगी, फिर वो दीपक बुझा रही होगी।

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आदमी होना ख़ुदा होने से बेहतर काम है, ख़ुद ही ख़ुद के ख़्वाब की ताबीर बन कर देख ले।

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