मोहब्बत को अंजाम तक पहुंचाने का हौसला देते हैं कुमार विश्वास के ये 10 शेर
रितु राज
हारे दिल पर अधिकार कैसा
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना ,जो दिल हारा हुआ वोहा पे फिर अधिकार क्या करना, मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है, ग़ैर मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
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स्वंय से दूर
स्वंय से दूर हो तुम भी, स्वंय से दूर है हम भी,बहुत प्रसिद्ध हो तुम भी, बहुत प्रसिद्ध हो हम भी,बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर हो हम भी, अतः मजबूर हो तुम भी, अतः अनुपालन है हम भी।
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नज़र में शोखिया
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है,कई जीत है दिल के देश पर मालूम है मुझकों, सिकन्दर हूं मुझे इक रोज़ खाली हाथ जाना है।
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उम्मीदों का फटा पैरहन
उम्मीदों का फटा पैरहन,रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,तुम से मिलने की कोशिश में, किस-किस से मिलना पड़ता है।
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आखों के मंजर
बदलने को तो इन आखों के मंजर काम नहीं बदले, तुम्हारी याद के मौसम हमारे ग़म नहीं बदले, तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी तब तो मानोगी, ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले।
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मुसाफिर
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे, वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे, मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा, ये मुसाफिर हो कोई ठिकाना चाहे।
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कश्ती में भंवर
घर से निकला हूं तो निकला है घर भी साथ मेरे,देखना ये है कि मंजिल पे कौन पहुँचेगा,मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है, दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुंचेगा।
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मेरे जीने मरने में
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा, मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा, हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा,अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा।
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जमाने भर में रुसवा
यह चादर सुख की मोल क्यू, सदा छोटी बनाता है, सीरा कोई भी थामो, दूसरा खुद छुट जाता है, तुम्हारे साथ था तो मैं, जमाने भर में रुसवा था, मगर अब तुम नहीं हो तो, ज़माना साथ गाता है।
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