मजरूह सुल्तानपुरी के 10 मशहूर शेर: कुछ बता तू ही नशेमन का पता, मैं तो ऐ बाद-ए-सबा भूल गया

Apr 04, 2025

मजरूह सुल्तानपुरी के 10 मशहूर शेर: कुछ बता तू ही नशेमन का पता, मैं तो ऐ बाद-ए-सबा भूल गया

Suneet Singh
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

​मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया​

Credit: facebook

देख ज़िंदां से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार, रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख

​देख ज़िंदां से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार, रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख​

Credit: facebook

कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा, हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा

​कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा, हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा​

Credit: facebook

​शब ए इंतजार की कश्मकश में न पूछ कैसे सहर हुई, कभी इक चराग़ जला दिया कभी इक चराग़ बुझा दिया​

Credit: facebook

You may also like

जीने के सही मायने सिखाते हैं मनोज कुमार ...
गंजी खोपड़ी पर उग जाएंगे बाल, बस मेथी दा...

​जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूं संभल के बैठ गए, तुम्हारी बात नहीं बात है ज़माने की​

Credit: facebook

​ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्ना, थी आरज़ू कि तिरे दर पे सुब्ह ओ शाम करें​

Credit: facebook

​बहाने और भी होते जो ज़िंदगी के लिए, हम एक बार तिरी आरज़ू भी खो देते​

Credit: facebook

​रोक सकता हमें ज़िंदान-ए-बला क्या 'मजरूह', हम तो आवाज़ हैं दीवार से छन जाते हैं​

Credit: facebook

​अलग बैठे थे फिर भी आंख साक़ी की पड़ी हम पर, अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आएंगे​

Credit: facebook

इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स

Next: जीने के सही मायने सिखाते हैं मनोज कुमार के ये डायलॉग्स, खुशहाली के लिए बांध लें गांठ

ऐसी और स्टोरीज देखें