May 15, 2024
हाल ही में कनेर के फूलों पर पबांदी लगा दी है। ये फूल अब राज्य के 2500 से ज्यादा मंदिरों में नहीं चढ़ाए जा सकेंगे।
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ये फैसला लिया है केरल सरार द्वारा नियंत्रित दो मंदिर न्यासों ने। इन फूलों के बारे में कहा जाता रहा कि ये जहरीले होते हैं।
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हाल ही में 24 वर्षीय नर्स सूर्या सुरेंद्रन ने गलती से कनेर के पौधे के पत्ते चबा लिये, जिससे उनकी मौत हो गई। कथित तौर पर कनेर के फूल चबाने से कुछ जानवरों की भी मौत हो चुकी है।
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ऐसे हादसों को देखते हुए केरल सरकार के मंदिर न्यास ने फैसला लिया कि मंदिरों में ये फूल नहीं चढ़ाया जाएगा।
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बता दें कि देशभर के मंदिरों में कनेर के फूल चढ़ाया जाना आम बात है।
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इस फूल की खासियत है कि ये सूखे में भी जल्दी नहीं मुरझाता। इसी खूबी की वजह से यह दक्षिण भारत में खूब पाया जाता है।
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आयुर्वेद मेंकी मानें तो कनेर की जड़ और छाल से बनने वाले तेल से स्किन की बीमारियों का इलाज होता है।
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चरक संहिता समेत तमाम आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है कि पुरानी से पुरानी स्किन डिसीज में इससे फायदा होता है।
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भले यह फूल आयुर्वेदिक उपचार में इस्तेमाल की जाती हो लेकिन यह जहरीला होता है इससे भी वैज्ञानिक इनकार नहीं करते हैं।
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