Apr 14, 2025
जब कोई रास्ता ना दिखे तो याद कर लें संस्कृत का ये श्लोक, हो जाएंगे सफल
Ritu raj
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।
Credit: iStock
“योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय ।
Credit: iStock
सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥”
Credit: iStock
“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
Credit: iStock
You may also like
नाश्ते में क्या खाते थे डॉ अंबेडकर, चाय-...
क्या होता है Army का फुलफॉर्म, ऐसे सवाल ...
क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति॥
Credit: iStock
ऐश्वर्ये वा सुविस्तीर्णे व्यसने वा सुदारुणे।रज्जवेव पुरुषं बद्ध्वा कृतान्तः परिकर्षति॥
Credit: iStock
कण्ठे मदः कोद्रवजः हृदि ताम्बूलजो मदः।लक्ष्मी मदस्तु सर्वाङ्गे पुत्रदारा मुखेष्वपि॥
Credit: iStock
जीवितं क्षणविनाशिशाश्वतं किमपि नात्र।
Credit: iStock
जीविताशा बलवती धनाशा दुर्बला मम्।।
Credit: iStock
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स
Next: नाश्ते में क्या खाते थे डॉ अंबेडकर, चाय-कॉफी पीने का था ऐसा खास तरीका
ऐसी और स्टोरीज देखें