Apr 24, 2024

'गया था फूल लेने कांटे सारे तोड़ लाया..', सीधे दिल तक पहुंचते हैं मुनव्वर फारूकी के ये शेर

Suneet Singh

सितारा

टूटने से इनकी ख्वाहिश होती पूरी, सही कहते हैं में सितारा बन गया हूं!

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अकेला काफी हूं मैं..

मोहब्बत का जाम पिलाने वाला साकी हूं मैं, लबों पर हंसी लाने के लिए अकेला काफी हूं मैं।

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मुनव्वर हूं मैं..

दफन है मुझमें कितने गम न पूछो, बुझ-बुझ के जो रोशन रहा वो मुनव्वर हूं मैं।

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बर्फ हो गया..

आंखों का सुकून तो किसी के दिल की ठंडक हो गया, एहसास न हुआ मुझे मैं तो पिघलता हुआ बर्फ हो गया।

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मुनव्वर होना..

बादशाहों को सिखाया गया है कलंदर होना, आप आसान समझते है मुनव्वर होना!

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मेरे मसले

मेरे मसले मेरी समझ से बाहर हैं, मेरी ख्वाबों से दोस्ती, तो नींद से दुश्मनी है!

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मेरे ख्वाब..

मेरे ख्वाब इन पहाड़ो से बड़े हैं, तूफान में काग की कश्ती लिए खड़े हैं। ये कैसे रोकेंगे आसमान से आनेवाले मेरे रिज्क को,मैं जमीं पर हूं और ये पर काटने चले हैं।

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कांटे सारे तोड़ लाया..

खुशबू सब में थी पहचानता मैं नस्ल कैसे, गया था फूल लेने कांटे सारे तोड़ लाया।

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अब सुकून की चाह नहीं..

खो दी जन्नत मैंने अब सुकून की चाह नहीं, ठोकर बिना मंजिल ले चल अब वह राह नहीं। दगा है सब अब मैं जाऊं कहां, घर में इंतजार करने वाली मां नहीं।।

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