Oct 22, 2024

ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें... दिल को छू जाएंगे मुनव्वर राना के ये शेर

Ritu raj

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए, इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए।

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ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें, टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए।

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बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग, इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी।

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एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया, इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे।

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भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है, मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है।

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ताज़ा ग़ज़ल ज़रूरी है महफ़िल के वास्ते,सुनता नहीं है कोई दोबारा सुनी हुई।

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हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं, जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं।

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अंधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है, जहां महबूब रहता है वहीं महताब रहता है।

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मसर्रतों के ख़ज़ाने ही कम निकलते हैं, किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते हैं।

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