Apr 20, 2024

'वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा..', निदा फाजली के 10 शानदार शेर

Suneet Singh

दस बीस आदमी

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना।

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महफिल

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक, जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा।

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जिंदगी

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो।

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रिश्ता

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता, दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए।

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दुनिया

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है, मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है।

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बच्चे

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो, चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे।

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तुमको भुलाने के लिए..

तुम से छूट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था, तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए।

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तन्हा

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा, वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा।

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हवाएं

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं, रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।

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