पीयूष मिश्रा के बेहतरीन शेर, आम जिंदगी को देते हैं अल्‍फाज

By: कुलदीप राघव
Jan 12, 2023

कमाल के शख्स हैं

पीयूष मिश्रा बेहतरीन एक्‍टर, शानदार सिंगर, डायरेक्‍टर और ऐसे शायर हैं जिन्‍होंने आम जन की भावनाओं को अल्‍फाज दिए हैं।

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मोहब्बत के शब्द

अजीब दस्‍तूर है मोहब्‍बत का, रुठ कोई जाता है, टूट कोई जाता है।

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मुकद्दर पर जोर

इलाइची के दानों सा मुकद्दर है अपना, महक उतनी ही बिखरी पीसे गए जितना।

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जीवन के रंग

हल्‍की-फुल्‍की सी है जिंदगी, बोझ तो केवल ख्‍वाहिशों का है।

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दर्द को शब्द

शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं, वरना कागजों पर लफ्जों के जनाजे उठते।

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प्यार की शर्त

कैसे करें हम खुद को तेरे प्‍यार के काबिल, जब हम आदतें बदलते हैं, तुम शर्तें बदल देती हो।

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जमाने की सोच

औकात नहीं थी जमाने में जो मेरी कीमत लगा सके, कमबख्‍त इश्‍क में क्‍या गिरे, मुफ्त में नीलाम हो गए।

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जज्बात नहीं समझे

आज मैंने फिर जज्‍बात भेजे, आज तुमने फिर अल्‍फाज ही समझे।

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काम का मंत्र

ख्‍वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिए, जनाब, खर्चा बहुत होता है मंजिलों को पाने में।

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