Aug 24, 2023
रक्षा बंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा। इस त्यौहार का नाम आते ही घेवर की खुशबू आने लगती है।
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घेवर राजस्थान और ब्रज क्षेत्रों की प्रमुख पारंपरिक मिठाई है। इस मिठाई के बिना रक्षा बंधन पूरा नहीं होता।
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घेवर भारत में कब और कैसे आया, इस पर काफी बहस होती है। कहा जाता है कि घेवर भारत में 3000 किलोमीटर दूर पर्शिया यानी ईरान से आया ।
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खानपान और इतिहास के जानकार कहते हैं कि घेवर वाजिद अली शाह के वक़्त में पहुंचा।
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घेवर, मैदा और अरारोट के घोल को सांचों में डालकर बनाया जाता है और फिर इसे चाशनी में डुबाया जाता है।
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घेवर मीठा और फीका दोनों तरह का होता है। बाजार में घेवर की कई तरह की वैरायटी मौजूद है।
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अच्छी किस्म के घेवर की कीमत 500 रुपये किलो से शुरु होती है। राजस्थान में घेवर 12 महीने मिलता है।
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राजस्थान के मिठाई वाले भी इसे ईरान की एक मिठाई से प्रेरित बताते हैं।
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घेवर बरसात के दिनों में बनाया जाता है। दरअसल, बरसात के मौसम में अक्सर वात और पित्त की शिकायत हो जाती है। घी से बना घेवर इसमें राहत देता है।
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