Aug 28, 2024
सद्गुरु कहते हैं कि पैरेंट्स को ये समझना चाहिए कि बच्चे आपकी प्रॉपर्टी नहीं है जिन पर आप अपना हक जमा सकें। आपको तो खुश होना चाहिए कि आपको औलाद का सुख प्राप्त हुआ है।
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बच्चों को अपने भविष्य का निवेश ना समझें। उनके साथ जीवन का आनंद लें और उनके हर फैसले में उनका सपोर्ट करें।
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सद्गुरु कहते हैं कि बच्चे पर अपनी राय ना थोपें। जिंदगी जीने के अपने तरीकों को बच्चे पर ना थोपें। वो जो भी बनना चाहता है, उसे बनने दें।
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बच्चों को बार-बार ये ना बताएं कि तुम्हारी उम्र में मैं था तो ये कर चुका था। आपने अपनी जिंदगी में जो किया है, आपके बच्चे को वही सब करने की जरूरत नहीं है। आपका बच्चा वो भी कर सकता है जो शायद आपने कभी करने की कोशिश ही नहीं की।
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सद्गुरु कहते हैं कि जीवन का जो चक्र है उसमें बचपन सिर्फ एक बार ही आता है। बच्चों को उनका बचपन जीने दें। उनपर बड़ों जैसा व्यवहार करने का अनायास दबाव ना डालें।
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सद्गुरु माता-पिता को सलाह देते हैं कि वो बच्चों के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें बॉस की तरह नहीं। बच्चों को ये ना बताएं कि उसे क्या करना है। वो जो कर रहा है उसमें उसकी मदद करें।
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बच्चा अगर कोई गलती करता है तो उसे सुधारने में उसकी मदद करें। बच्चे को ऐसा फील कराएं कि वह आपसे बात करने में डरे या हिचके ना।
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बच्चों के लिए घर का माहौल अच्छा रखें, क्योंकि डर और चिंता के बीच बच्चे खुश नहीं रह सकते हैं। बच्चों के लिए हमेशा आनंद और उल्लास का माहौल बनाए रखने की कोशिश करें।
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बच्चा सबसे ज्यादा समय अपने माता-पिता के साथ बिताता है। ऐसे में वो सबसे ज्यादा आपसे ही सीखेगा। इसी कारण बच्चों के साथ अपना आचरण ऐसा रखें कि वो आपको रोल मॉडल बना ले।
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