Jan 13, 2025
संगम पर कुछ शेर: या इलाहाबाद में रहिए जहां संगम हो, या बनारस में जहां हर घाट पर सैलाब है
Suneet Singhप्रयागराज में संगम किनारे महाकुंभ मेला सज चुका है। दूर दराज से श्रद्धालु पहुंचे हैं।
संगम पर कई शायरों ने बेहतरीन शेर लिखे हैं। आइए डालते हैं उनमें से चंद पर एक नजर:
तीन त्रिबेनी हैं दो आंखें मिरी, अब इलाहाबाद भी पंजाब है
- इमाम बख़्श नासिख़
कुफ़्र-ओ-ईमाँ दो नदी हैं इश्क़ कीं, आख़िरश दोनो का संगम होवेगा
- सिराज औरंगाबादी
ऐश ही ऐश है न सब ग़म है, ज़िंदगी इक हसीन संगम है
- अली जवाद ज़ैदी
या इलाहाबाद में रहिए जहां संगम भी हो, या बनारस में जहां हर घाट पर सैलाब है
- क़मर जमील
गले मिलते हैं मौसम से जहां मौसम दिखाएंगे, इलाहाबाद आना हम तुम्हें संगम दिखाएंगे
- मुनव्वर राना
सुबह की चाय मैं और तुम यानी हम , तो हुआ न त्रिवेणी संगम
- आशा पंवार
गंगा की धारा यमुना से मिलने आई है, यह ऐसा अद्भुत संगम है जो प्रयागराज लेकर आई है
- तनुशा शर्मा
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