Jan 10, 2025

किताब पर लिखे 10 मशहूर शेर: किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं, अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर ख़ामोश

Suneet Singh

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो, ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

निदा फ़ाज़ली

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जिस्म तो ख़ाक है और ख़ाक में मिल जाएगा, मैं बहर-हाल किताबों में मिलूँगा तुम को

होश नोमानी रामपुरी

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किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप को, काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के

आदिल मंसूरी

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जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन, ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ

ज़फ़र सहबाई

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काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के, दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

बशीर बद्र

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क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो, हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरें हैं

एजाज़ तवक्कल

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कुछ और सबक़ हम को ज़माने ने सिखाए, कुछ और सबक़ हम ने किताबों में पढ़े थे

हस्तीमल हस्ती

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किधर से बर्क़ चमकती है देखें ऐ वाइज़, मैं अपना जाम उठाता हूँ तू किताब उठा

जिगर मुरादाबादी

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रहता था सामने तिरा चेहरा खुला हुआ, पढ़ता था मैं किताब यही हर क्लास में

शकेब जलाली

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