Dec 09, 2024

इंतकाम सारे पूरे किए, पर इश्क अधूरे ...आशिकों के दिल को चीर देंगी Zakir Khan की ये शायरी

Ritu raj

​इंतकाम ​

इंतकाम सारे पूरे किए, पर इश्क अधूरे रहने दिए। बता देना सबको कि में मतलबी बड़ा था। हर बड़े मुकाम पे तन्हा ही मैं खड़ा था।

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​औकात ​

मेरी औकात मेरे सपनों से इतनी बार हारी हैं कि अब उसने बीच में बोलना ही बंद कर दिया है।

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​आरज़ू​

मेरी अपनी और उसकी आरज़ू में फर्क ये था मुझे बस वो... और उसे सारा जमाना चाहिए था।

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​शोहरत​

मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत, तेरा ज़िक्र ही कहां था , मेरी दास्तान से पहले।

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​इश्क़​

इश्क़ किया था हक से किया था सिंगल भी रहेंगे तो हक से ।

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​फर्माइश​

जिंदगी से कुछ ज्यादा नहीं, बस इतनी सी फर्माइश है, अब तस्वीर से नहीं, तफसील से मिलने की ख्वाइश है ।

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​उम्मीदें​

तुम भी कमाल करते हो , उम्मीदें इंसान से लगा कर शिकवे भगवान से करते हो।

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​खजाने​

खजाने लूट रहे थे मां बाप की छाव में, हम कौड़ियों के खातिर, घर छोड़ के आ गए।

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​मोहब्बत ​

दिलों की बात करता है ज़माना, पर आज भी मोहब्बत चेहरे से ही शुरू होती हैं।

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