May 30, 2024

'कुछ अब के धूप का ऐसा मिज़ाज बिगड़ा है..', बारिश की बूंदों से हैं गर्मी के ये बेहतरीन शेर

Suneet Singh

पिघलते देख के सूरज की गर्मी, अभी मासूम किरनें रो गई हैं।

- जालिब रोमानी

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गर्म मौसम से परेशाँ सब हुए, जिस्म ठंडा कर दे ऐ रब धूप का।

- अमित अहद

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गर्मी से मुज़्तरिब था ज़माना ज़मीन पर, भुन जाता था जो गिरता था दाना ज़मीन पर।

- मीर अनीस

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फिर वही लंबी दोपहरें हैं फिर वही दिल की हालत है, बाहर कितना सन्नाटा है अंदर कितनी वहशत है।

- ऐतबार साजिद

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कोई सुनता तो इक कोहराम बरपा था हवाओं में, शजर से एक पत्ता जब गिरा आहिस्ता आहिस्ता।

- अहमद नदीम कासमी

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कुछ अब के धूप का ऐसा मिज़ाज बिगड़ा है, दरख़्त भी तो यहाँ साएबान माँगते हैं।

- मंजूर हाशमी

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लगा आग पानी को दौड़े है तू, ये गर्मी तेरी इस शरारत के बाद।

- मीर तकी मीर

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दश्त-ए-वफ़ा में जल के न रह जाएँ अपने दिल, वो धूप है कि रंग हैं काले पड़े हुए।

- होश तिर्मिजी

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बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत वहशत की है धूप ज़िया, चारों जानिब वीरानी है दिल का इक वीराना क्या।

- अहमद जिया

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