Nov 29, 2024
BY: Medha Chawlaइसी किले पर 6 जून 1674 को शिवाजी महाराज का भव्य राज्याभिषेक हुआ था। यहां से मनोरम दृश्य दिखते हैं और ये बेमिसाल वास्तुकला का उदाहरण है। पहाड़ी की चोटी पर जाने के लिए यहां सीढ़ियां भी हैं।
Credit: MTDC
यह पुणे का सबसे ऊंचा पहाड़ी किला है। इस किले पर जीत 16 साल की छोटी उम्र में शिवाजी की पहली बड़ी विजय थी। इसका नाम इसके आकार पर दिया गया है।
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हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र की जहां कई दर्शनीय किले हैं। पुणे के नजदीक राजगढ़ किला है जो 1646 से 1670 के बीच करीब 25 साल तक शिवाजी महाराज की राजधानी रहा है। इसे मुरुंबदेव किला भी कहा जाता था।
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इस किले को निर्माण 1664 और 1667 के बीच हुआ था। यह चारों ओर से पानी से घिरा है और शिवाजी महाराज की सेना ने इसकी सुरक्षा के लिए आसास कई छोटे किले बनाए थे।
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इस किले को ये नाम इसकी काले रंग की भयावह संरचना की वजह मिला है। यह लोनावाला के हिल स्टेशन के करीब स्थित है और मराठा इतिहास में विशेष स्थान रखता है।
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यह किला महाराष्ट्र के पुणे के जुन्नार में स्थित है। यहां का बादामी तालाब भी प्रसिद्ध है। यह शिवाजी महाराज का जन्मस्थान भी रहा है।
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इस किले का एक दिलचस्प नाम शेर का किला भी है। यहां मराठों ने कई बार मुगलों से लोहा लिया था। इनमें सबसे उल्लेखनीय तानाजी मालुसरे की रात की घेराबंदी थी जो एक महत्वपूर्ण जीत थी।
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यह किला वास्तव में समुद्री वास्तुकला की एक अद्भुत मिसाल है। इसे 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। 17वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी ने इसे अपने कब्जे में ले लिया। माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही इसे विजयदुर्ग नाम दिया था।
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यह महाबलेश्वर से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां 1659 में छत्रपति शिवाजी महाराज और अफ़ज़ल खान के बीच युद्ध हुआ था जिसकी कहानी यहां खूब सुनाई जाती है।
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यह किला मुगलों और मराठों के बीच युद्धों का गवाह रहा है और अब एक पसंदीदा ट्रेकिंग डेस्टिनेशन है। इसका निर्माण कलचुरी राजवंश के तहत 6वीं शताब्दी में हुआ था।
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