Jul 7, 2024
प्रणाम और नमस्ते, प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति के अभिवादन के तरीके रहे हैं।
Credit: canva
ये दोनों शब्द आपस में जुड़ा हुए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों ही शब्द में क्या अंतर है।
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आज हम आपको अभिवादन के इन दोनों शब्द के बीच का अंतर बताने वाले हैं।
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प्रणाम शब्द की उत्पत्ति प्र और नमन शब्द से मिलकर हुई है, जिसका अर्थ है अच्छे भाव से किसी को नमन करना।
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नमस्ते शब्द नमः+ते से बना है। नमः शब्द नम् से बना है, जो संस्कृत की धातु है और जिसका अर्थ है- झुकना और ते का अर्थ है- तुम्हारे लिए। इस तरह, नमस्ते का शाब्दिक अर्थ हुआ- तुम्हारे लिए झुकता हूं।
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वहीं नमस्कार शब्द की बात करें तो ये दो शब्दों के मेल नमन और कार से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है मैं तुम्हारा सत्कार करता हूं।
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नमस्ते करने की एक मुद्रा होती है, जिसमें पीठ आगे की ओर कुछ झुकी हुई, छाती के मध्य में दोनों हाथ आपस में जुड़े हुए और उंगलियां आकाशोन्मुखी रहती हैं। दोनों हाथ हृदय के करीब होते हैं।
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नमस्कार करने की कोई मुद्रा नहीं होती। नमस्कार का मतलब ही अभिवादन है। हां, नमस्कार कई तरह के जरूर होते हैं, जैसे पद नमस्कार, भावपूर्ण नमस्कार आदि।
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वहीं, प्रणाम करने की भी कोई मुद्रा नहीं होती। ये नमस्कार की तरह ही है , लेकिन इसमें झुकना नहीं होता है।
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