Jul 14, 2023
अवनि बागरोलामुगल शासकों की शाही रसोई का खाना और उनके शासन काल में भारतीय मसाले बहुत मशहूर रहे हैं। देखें भारत आने के बाद मुगलों की पुश्तें क्या खाना पसंद करती थीं।
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मुगलई खाने का इतिहास 500 से ज्यादा साल पुराना है। और इस क्यूजिन में मसालों के फ्यूजन और लजीज जायके की भरमार थी।
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भारत के मसाले और स्वाद का खजाना देख बाबर की आंखे फटी की फटी रह गई थी। अपने शासन में बाबर ने भारत की मछलियां, फल और सब्जियां का खूब लुत्फ उठाया।
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हुमायूं की जुबान ने दिल्ली आकर खिचड़ी और शरबत का जायका ऐसा पकड़ा की दोनों ही उनके फेवरेट बन गए थे। वहीं हामिदा बेगम ने खाने केसर और ड्राई फ्रुट्स का इस्तेमाल सबसे पहले किया था।
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अकबर के हरम में देश विदेश की रानियां रहती थीं, इसलिए अकबर के दौर में ही मुगलई खाने का चलन बना था। अकबर को खाने में मुर्घ मुसल्लम, नवरत्न कोरमा और जोधाबाई की तरफ से पंचरत्न दाल खाने का खूब शौक था।
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जहांगीर पीने और खाने दोनों का ही शौकीन था, एवं उसी के दौर में मुगल दस्तरखान इजात हुआ था। बेगम नूर जहान ने इसी काल में वाइन, रेनबो रंग का दही और मीठे की डिश का चलन चालू किया था।
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शाहजहान के दौर में निहारी बनाई जाने लगी थी। और उन्होंने ही खाने में हल्दी, जीरा और धनिया ज्यादा उपयोग करना शुरू किया था। शाहजहान सिर्फ यमुना का पानी और बागान के ताजे फल खाते थे।
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औरंगजेब के शासन काल में मुगलों के खाने का चलन कम हुआ था। उन्हें शाकाहारी पंचमेल दाल और चावल, दाल, दही, बादाम वाली बिरयानी खाने का खूब शौक था।
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आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर को हिरण का मांस खाना बहुत पसंद था। इसी के साथ उन्हें मूंग की दाल का जायका भी खूब भाता था, जिसे बाद में बादशाह पसंद कहा जाने लगा था।
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