Oct 11, 2024
पठान, एक खानाबदोश, देहाती, पूर्वी ईरानी जातीय समूह है। ये मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान और दक्षिणी और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान में रहते हैं।
Credit: facebook/pexels
भारत में पठानों की आबादी मुख्य रूप से उत्तरी और मध्य भारत के मैदानी इलाकों में है।
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पठानों को पश्तून या पख़्तून भी कहा जाता है। पठानों की पहचान में पश्तो भाषा, पश्तूनवाली मर्यादा का पालन और किसी ज्ञात पश्तून क़बीले की सदस्यता शामिल है।
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पठानों ने भारत में विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से राजनीति, मनोरंजन उद्योग और खेल में योगदान दिया है।
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1947 में भारत के विभाजन के बाद उनमें से कई पाकिस्तान चले गए। अब अधिकांश भारतीय पठान उर्दू भाषी हैं। ब्रिटिश भारत में अफ़ग़ान शब्द को भी पठान का पर्याय माना जाता था।
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बात पठानों के खान-पान की करें तो मूलत: वह मांसाहारी होते हैं। मांसाहार उनके न्यूट्रीशन का खास सोर्स होता है।
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पठान लोग सबसे ज्यादा बकरे का मीट खाते हैं। बकरे के मीट को मटन भी कहा जाता है। आमतौर पर पठान मटन को हल्के मसालों में पकाते हैं।
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बकरे का मीट पठानों के खास प्रायजनों में भी बनता है। ईद और बकरीद पर तो मटन का होना बेहद जरूरी होता है।
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बकरे के मीट के अलावा पठान बीफ और भेड़ का मांस भी खाते हैं। हालांकि भारत में रहने वाले पठान ज्यादातर बकरे का मांस ही खाते हैं।
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