Oct 27, 2024
यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से ईंधन बचाया जा सकता है और संबंधित ग्रह के वायुमंडल के फ्रिक्शन का इस्तेमाल किया जाता है।
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यह भारत का पहला शुक्र मिशन है, जिसके जरिए जुड़वां ग्रह की सतह, वायुमंडल और सूर्य के साथ उसके संबंधों का अध्ययन किया जाएगा।
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एयरो ब्रेकिंग तकनीक के जरिए स्पेसक्राफ्ट थ्रस्टर की जगह पर शुक्र ग्रह के वायुमंडल से तालमेल मिलाकर आगे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेगा।
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इस तकनीक के जरिए स्पेसक्राफ्ट धरती की कक्षा में घूमेगा और फिर लॉन्च होकर शुक्र की कक्षा में दाखिल होगा। इस काम में लगभग 140 दिन का समय लगेगा।
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इसरो के शुक्र मिशन को भारत सरकार अपनी मंजूरी दे चुकी है। इस मिशन को तब लॉन्च किया जाएगा जब शुक्र ग्रह पृथ्वी के सबसे करीब होगा।
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अगर सबकुछ ठीक रहा तो संभवत: शुक्र मिशन को मार्च 2028 में लॉन्च किया जा सकता है।
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शुक्र ग्रह की ओर अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं और तमाम देश शुक्र ग्रह पर जीवन की संभावना को टटोलना चाहते हैं।
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