Nov 14, 2024
रूस का बेहद ठंडे क्षेत्र साइबेरिया दुनिया के लिए रहस्यमयी बना हुआ है, क्योंकि साल 2014 में वहां की जमीन अचानक फटी और एक रहस्यमयी गड्ढा प्रकट हुआ था।
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साल 2014 से पर्माफ्रॉस्ट में 20 से ज्यादा क्रेटर देखे जा चुके हैं, जिसको लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं।
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मिट्टी, रेत, तलछट या चट्टान का ऐसा हिस्सा, जो कम से से दो तक शून्य डिग्री सेल्सियस या उससे कम तापमान पर रहता है उसे ही पर्माफ्रॉस्ट कहा जाता है।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन रहस्यमयी गड्ढों के लिए जलवायु परिवर्तन और इलाके का अजीब भूविज्ञान जिम्मेदार हो सकता है।
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जियोफिजिकल रिसर्च लेटर के लिए लिखे एक पेपर में में इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूविर्सिटी और स्पेन की यूनिवर्सिटी डी ग्रेनेडा के शोधकर्ताओं ने क्रेटर के बारे में समझाया है।
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शोधकर्ताओं यह मानते हैं कि क्रेटर तब बनते हैं जब टुंड्रा के नीचे फंसी गैसों भूमिगल रूप से जमा हो जाती हैं। जिसकी वजह से सतह पर एक टीला बन जाता है, लेकिन नीचे का दबाव ज्यादा होने पर टीला फट जाता है और गैसें बाहर निकलती हैं।
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, पर्माफ्रॉस्ट में बर्फ के नीचे मीथेन की एक परत होती है और कभी-कभी मीथेन के नीचे तीसरी परत भी होती है और जब ये परत बढ़ती है तो पर्माफ्रॉस्ट के नीचे दबाव बढ़ता है और दरारें बनती हैं।
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कभी-कभी ये दरारें दबाव में इतनी तेजी से गिरावट पैदा करती हैं कि मीथेन हाइड्रेट्स टूट जाते हैं और मीथेन गैस का जोरदार धमाका होता है, जो साइबेरिया क्रेटर्स के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में अभी और क्रेटर्स बनने की संभावना है।
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