May 12, 2024
संसार के बंधनों से मुक्त होने के लिए बुद्धिमान व्यक्ति को स्वयं और अहंकार के बीच अंतर करना आना चाहिए। केवल इन्हीं चीजों से व्यक्ति स्वयं को पहचान कर जीवन का आनंद ले सकता है।
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धन, रिश्ते, दोस्त, व अपनी जवानी पर घमंड न करें। ये सारी चीजें समय के साथ चली जाती हैं। इस मायावी संसार का त्याग कर, परमेश्वर को जानें और प्राप्त करें।
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एक सच यह भी है की लोग आपको उसी वक्त तक याद करते हैं जब तक सांसें चलती हैं। सांसों के रुकते ही सबसे करीबी रिश्तेदार, दोस्त, यहां तक की पत्नी भी दूर चली जाती है।
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जिस तरह एक प्रज्वलित दीपक के चमकने के लिए दूसरे दीपक की जरुरत नहीं होती है। उसी तरह आत्मा जो खुद ज्ञान स्वरूप है उसे किसी और ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है, अपने खुद के ज्ञान के लिए।
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हमारी आत्मा एक राजा के समान होती है और हर व्यक्ति को यह ज्ञान होना चाहिए कि जो शरीर, इन्द्रियों, मन बुद्धि से बिल्कुल अलग होती है। आत्मा इन सबका साक्षी स्वरूप हैं।
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मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने की तरह है, यह तब तक ही सच लगता है जब तक आप अज्ञान की नींद में सो रहे होते हैं। जब नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है।
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तीर्थ करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो।
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सत्य की कोई भाषा नहीं है। भाषा सिर्फ मनुष्य का निर्माण है, लेकिन सत्य मनुष्य का निर्माण नहीं आविष्कार है। सत्य को बनाना या प्रमाणित नहीं करना पड़ता, सिर्फ उघाड़ना पड़ता है।
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