Feb 24, 2025
By: Medha Chawlaपंचामृत और चरणामृत दोनों ही प्रसाद हिंदू धर्म में अत्यंत ही पवित्र माने जाते हैं, लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर होते हैं।
Credit: canva
पंचामृत का शाब्दिक अर्थ है "पांच अमृत"। ये दूध, दही, घी, शहद और चीनी को मिलाकर बनाया जाता है।
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इसे देवताओं के अभिषेक कराने के लिए प्रयोग किया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
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पंचामृत को शुद्ध और सात्त्विक माना जाता है, क्योंकि ये पोषक और आरोग्य वर्धक तत्वों से बना हुआ होता है।
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चरणामृत का अर्थ है भगवान के चरणों का अमृत। इसे मुख्य रूप से तुलसी डालकर जल, दूध या पंचामृत के मिश्रण के साथ बनाया जाता है।
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चरणामृत देवी-देवताओं की मूर्ति या शिवलिंग के चरणों से प्रवाहित होता है, इस नाते इसे पवित्र माना जाता है।
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चरणामृत को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है और मान्यताओं के अनुसार इसे ग्रहण करना पुण्यदायक माना जाता है।
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हिंदू मंदिरों में चरणामृत का वितरण एक नियमित परंपरा है, जिसके द्वारा भक्त भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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इसे ग्रहण करने से मनुष्य के पाप नष्ट हो सकते हैं और उसकी आत्मा को शुद्धि मिल सकती है।
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