Aug 23, 2023
रामचरितमानस दरअसल अवधी भाषा में लिखी हुई “रामायण” है। जिसे तुलसीदास जी ने लिखा था।
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बिस्व भरण पोषण कर जोई, ताकर नाम भरत अस होई|
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सुनु सिय सत्य असीस हमारी, पूजहि मनकामना तुम्हारी|
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जपहि नामु जन आरत भारी, मिटाई कुसंकट होई सुखारी|
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दैहिक, दैविक, भौतिक तापा, राम राज नहीं काहूंहि व्यापा|
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दीन दयाल विरदु सम्भारी, हरहु नाथ मम संकट भारी|
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कामिहि नारी पियारी जिमी, लोभी प्रिय जिमि दाम, तेहि रघुनाथ निरंतर, प्रिय लागहु मोहि राम|
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