भगवान राम की मृत्यु के समय कहां थे हनुमान, जानें बजरंगबली से जुड़ी रोचक बातें

कुलदीप राघव

Apr 5, 2023

कब है हनुमान जयंती

हनुमान जी का जन्म चैत्र माह के पूर्णिमा को हुआ था। इस दिन देशभर में महाबली हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है। इस बार 6 अप्रैल को हनुमान जयंती है।

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रामभक्त हनुमान

बजरंगबली, भगवान श्रीराम के परम भक्त माने गए हैं और कलयुग के जागृत देवताओं में भी शामिल हैं। भगवान श्रीराम ने उन्हें कलयुग के अंत तक धरती पर ही रहने का निर्देश दिया था

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हनुमान जी की रोचक बातें

हनुमान जी के बारे में अधिकांश बातें सभी भक्तों को पता हैं लेकिन आज हम आपको उनके बारे में अनसुनी और रोचक बातें बताने जा रहे हैं।

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पांच भाइयों में सबसे बड़े बजरंगी

पुराणों में वानर राज केसरी के छह पुत्रों का जिक्र मिलता है और इसमें हनुमान जी सबसे बड़े थे। उनके बाकी पांचों भाई विवाहित थे। हनुमानजी के पांच भाईयों में मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान शामिल थे।

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भगवान शंकर के 11वें अवतार

बजरंगबली की मां अंजना भगवान शिव की परम भक्त थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। हनुमान जी का जन्म शिव का 11 अवतार माना गया है।

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हनुमान का नाम

संस्कृत में हनु का अर्थ है जबड़ा और मान का अर्थ है विकृत। हनुमानजी ने एक बार सूर्य को फल समझकर खा लिया था तब क्रोधित होकर भगवान इन्द्र ने बालक मारुति पर वज्र से प्रहार कर दिया जिससे उनका जबड़ा टूट गया था और वे मूर्छित हो गए तब से उनका नाम हनुमान भी पड़ गया। अन्यथा बचपन मे उनका नाम मारुति ही था।

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श्रीराम के अंत समय कहां थे हनुमान

अंत समय में भगवान राम ने अपनी एक अंगूठी को पाताल लोक में गिरा दिया और हनुमानजी को उसे ढूंढ़कर लाने को कहा। हनुमान जी को धोखे से पाताल लोक भेजकर कर भगवान राम ने सरयू नदी में डुबकी लगाकर अपने मनुष्यरूपी शरीर का त्याग दिया था।

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भगवान राम ने हनुमानजी को दी थी सजा

विश्वामित्र ने अपने अपमान के दंड स्वरूप भगवान राम से हनुमानजी को मृत्युदंड देने के लिए कहा। गुरु विश्वामित्र के कहने पर रामजी ने ने हनुमानजी पर वाणों की बौछार कर दी। हनुमानजी श्रीराम का नाम जपने लगे और बाण वहां से लौट गए। इसके बाद भगवान ने ब्रह्मास्त्र चला दिया लेकिन ब्रह्मास्त्र भी हनुमानजी की प्रदक्षिणा कर वापस लौट आया।

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भीम के भाई और रामायण के रचयिता

हनुमानजी का जन्म पवनदेव की कृपा से हुआ था और भीम का जन्म भी पवनदेव की कृपा से ही हुआ था। इस लिहाज से दोनों एक दूसरे के भाई हुए। वहीं लंका विजय के बाद भगवान राम का राज्याभिषेक करा कर हनुमान जी हिमालय पर्वत पर चले गए और यहीं पहाड़ियों पर अपने नाखूनों से उन्होंने भगवान श्रीराम की कहानी लिखी।

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