Medha Chawla
Jan 11, 2025
भारत की संत परंपरा प्राचीन और धार्मिक तत्वों से युक्त है। इन संतों को वेदांत और वेदांग की भरपूर जानकारी रहती है।
Credit: canva
प्रत्येक 6 वर्ष में अर्ध कुंभ लगता है और 12 वर्षों में लगने वाले पूर्ण कुंभ को महा कुंभ कहा जाता है जो कि इस बार प्रयागराज के तीर्थ संगम पर लगेगा।
Credit: canva
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे हिमालय और दूर मठों में रहने वाले संतों को फोन और सोशल मीडिया के बिना भी कैसे कुंभ के बारे में पता चल जाता है ?
Credit: canva
कुंभ मेले का चक्र मूलतः 12 सालों का होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये पृथ्वी पर चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है जिसका अंदाजा साधु-संत नक्षत्र मंडल से लगाते हैं।
Credit: canva
जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं, तो हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
Credit: canva
प्रयागराज के संगम पर कुंभ मेला तब लगता है जब सूर्य मकर राशि में और बृहस्पति वृषभ राशि में होते हैं।
Credit: canva
जब सिंह राशि में सूर्य और चंद्रमा होते हैं, तब उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर कुंभ मेला आयोजित होता है।
Credit: canva
नासिक में गोदावरी नदी के किनारे कुंभ मेला तब होता है जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं।
Credit: canva
इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है।
Credit: canva
इस स्टोरी को देखने के लिए थॅंक्स