Mar 25, 2025
By: Medha Chawlaबर्बरीक, महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे। वे तीन दिव्य बाणों के स्वामी थे, जिससे वे पलक झपकते ही युद्ध का परिणाम तय कर सकते थे।
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बर्बरीक ने ये प्रतिज्ञा ली थी कि वे हमेशा कमजोर पक्ष का साथ देंगे, ताकि युद्ध का संतुलन बना रहे।
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भगवान कृष्ण ने ब्राह्मण रूप धारण कर बर्बरीक की परीक्षा ली और उनसे पूछा कि वे किस ओर से युद्ध करेंगे। बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वे हमेशा हारने वाली सेना का पक्ष लेंगे।
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भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांगा। बर्बरीक ने सहर्ष अपने शीश का दान भगवान को कर दिया।
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बर्बरीक के त्याग और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे श्याम के रूप में पूजे जाएंगे और उनके नाम का स्मरण करने से भक्तों के कष्ट दूर होंगे।
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भगवान कृष्ण ने उनके कटे हुए शीश को वरदान दिया कि वो पूरा युद्ध देखेगा। मान्यताओं के अनुसार बाद में ये शीश राजस्थान के खाटू गांव में जमीन से प्रकट हुआ।
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माना जाता है कि खाटू गांव में एक ग्वाले को चमत्कारी स्थान पर अद्भुत प्रकाश दिखाई दिया। जब वहां खुदाई की गई, तो बर्बरीक का शीश प्राप्त हुआ।
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राजा रूप सिंह चौहान को स्वप्न में बर्बरीक के शीश को मंदिर में स्थापित करने का आदेश मिला। जिसके बाद उन्होंने खाटू श्याम मंदिर का निर्माण कराया।
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आज खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है और यहा हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन करने आते हैं।
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