Feb 22, 2024
भगवान शिव के कई नाम हैं, जैसे- शिव, भोलेनाथ, शंकर, महाकाल, महादेव, महामृत्युंजय, जटाधारी इत्यादि।
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क्या कभी आपने सोचा है कि शिव, सदाशिव और शंकर में क्या अंतर है। दरअसल तीनों अलग होकर भी एक हैं और एक होकर भी अलग हैं।
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शिव को हम शिवलिंग के तौर पर पूजते हैं। शिव एक बिंदु हैं। शिव इस संसार और ब्रह्मांड को दर्शाता है। खुद शिवलिंग का अर्थ चिन्ह से है। शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है।
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बात शंकर की करें तो शिव का मानव रूपी चेहरा शंकर कहलाता है। उनकी जटा है जिससे पवित्र गंगा बहती है। उनकी पत्नी और पुत्र हैं। वह कैलाश पर्वत पर वास करते हैं।
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शंकर संसार का कल्याण करने वाले सिद्ध पुरुष हैं। वह आदियोगी भी हैं जिसका मतलब होता है इस सृष्टि का सबसे पहला योगी। शंकर तपस्वी हैं।
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जहां शिव परमात्मा और रचयिता हैं वहीं शंकर उनका मानवरूप हैं और शिव की रचना हैं। शिव का सम्बन्ध ब्रह्मलोक से है तो शंकर का पृथ्वी से।
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बात सदाशिव की करें तो शिवपुराण के अनुसार वह शिव को पिता हैं। सदाशिव से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश का जन्म हुआ।
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शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा सदाशिव के अर्धावतार हैं जबकि शिव उनके पूर्णावतार हैं।
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तो इस प्रकार से शिव निराकार हैं, शंकर शिव का मानव स्वरूप हैं और सदा शिव शिव के जन्मदाता हैं।
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