Aug 17, 2023

BY: Medha Chawla

घी त्यार पर इस वजह से जरूर खाना पड़ता है घी, वरना अगले जन्म में बनेंगे घोंघा

घी त्यार उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व है।

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Ghee Sankranti

उत्तराखंड के कुमाऊं में इस पर्व को घी त्यार/ घ्यूं त्यार और गढ़वाल में घी संक्रांति के नाम से जानते हैं।

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भाद्रपद माह की सिंह संक्रांति के दिन मनाते हैं घी त्यार

घी संक्रांति, घी त्यार हर साल भाद्रपद माह की सिंह संक्रांति के दिन मनाया जाता है।

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इस दिन घी खाना होता है जरूरी

उत्तराखंड की लोक मान्यता के अनुसार इस दिन घी खाना जरूरी होता है।

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इस दिन घी नहीं खाने वाले अगले जन्म में बनता है घोंघा

लोककथा के अनुसार कहा जाता है कि जो इस दिन घी नहीं खाता है, उसे अगले जन्म में घोंघा यानी गनेल बनना पड़ता है।

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घरों में बनाए जाते हैं पुए, पकौड़े और खीर

घी त्यार पर पहाड़ के हर घरों में पुए, पकौड़े और खीर बनाई जाती है। साथ ही इन पकवानों को घी के साथ परोसा जाता है।

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घी खाने से शरीर की कई परेशानियां होती हैं दूर

इस दिन घी खाने से शरीर की कई परेशानियां भी दूर होती हैं। साथ ही नवजात बच्चों के सिर और तलुवों में भी घी लगाया जाता है, जिससे वे स्वस्थ्य और चिरायु होते हैं।

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