Jan 16, 2025
BY: Medha Chawlaकुंभ मेले की लहर पूरे देश में उमंग और जोश के रंग लेकर आई है, जहां करोड़ो भक्त संगम में स्नान करने के लिए प्रयागराज आए हुए हैं।
Credit: canva
नागा साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं जो नग्न और वैराग्य भाव के साथ अपना जीवन ध्यान और साधना में गुजारते हैं।
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नागा साधु संसार की माया से मुक्त होने के लिए खुद का पिंड करते हैं लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उन्हें मुखाग्नि नहीं दी जाती है।
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हिंदू धर्म के अनुसार जन्म से लेकर मृत्यु तक विभिन्न संस्कारों का पालन किया जाता है, जिसमें जीवन के अंत में दाह संस्कार होता है।
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ऐसा कहा जाता है कि नागा साधुओं को समाधि लेते हैं जिसमें वे स्वयं अपने प्राणों का त्याग करते हैं या फिर भू-समाधि लेते हैं।
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नागा साधुओं की चिता को आग नहीं दी जाती है, मान्यता है कि ऐसा करने से दोष लगता है। कहा जाता है कि वे स्वंय अपने जीवन को नष्ट कर चुके होते हैं।
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नागा साधु अपना तन, मन और जीवन परमात्मा को समर्पित कर देते हैं। ऐसे में उनके शव को को अग्नि नहीं दी जाती है।
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पहले नागा साधुओं को जल समाधि दी जाती थी, लेकिन जल प्रदुषण की वजह से नागा साधुओं योग मुद्रा में बैठकर भू-समाधि लेते हैं।
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इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। timesnowhindi.com इसकी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता है।
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