Apr 18, 2024
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महाभारत के युद्ध में पांडवों की तुलना में कौरवों के पास अधिक सैन्य शक्ति थी। उनकी तरफ से भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महान योद्धा लड़ रहे था।
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युद्ध में पांडव विजय की ओर बढ़ते ही जा रहे थे। इसका जिम्मेदार दुर्योधन भीष्म पितामह को ठहराता था। इन सब से वो काफी नाराज हो गए।
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भीष्म ने दुर्योधन को तरकस से पांच स्वर्ण तीर निकालकर मंत्रों का उच्चारण करके उन्हें अभिमंत्रित किया और कहा कि कल इन्हीं तीरों से मैं पांडवो को परास्त करूंगा।
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दुर्योधन को भीष्म पर भरोसा नहीं था, इसलिए उसने वो पांच तीर भीष्म से मांग लिए और कहा कि ये मेरी सुरक्षा में रहेंगे। मैं आपको सुबह ही ये पांच तीर आपको सौंप दूंगा आप पांडवों का वध कर देना।
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पांड़वो को मारने वाली तीर की खबर भगवान कृ्ष्ण को मिलती है। वो अर्जून के पास जाते हैं और कहते हैं कि अब समय आ गया है। जब तुम दुर्योधन से अपना वरदान मांग सकते हो। तुम उसे वो पांच स्वर्ण तीर मांग लेना जो पितामह ने उसे दिए हैं।
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भगवान कृष्ण के कहने पर अर्जून दुर्योधन के शिविर में गया और उसे अपना वचन याद दिलाते हुए। उससे वो पांच स्वर्ण तीर वरदान में मांग लिए।
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अर्जुन की ये बात सुनकर दुर्योधन हैरान रह जाता है, लेकिन वचनबद्ध होने के कारण वो तीर अर्जुन को दे देता है। जिसके कारण पांडवों की जान बच जाती है और कौरव युद्ध में मारे जाते हैं।
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