बचपन में चली गई थी आंखों की रोशनी, फिर भी इस संत ने 22 भाषा में रच दिए 80 ग्रंथ

Feb 24, 2023

कुलदीप राघव

​कौन हैं रामभद्राचार्य जी​

धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण, जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य देश के जाने माने संत हैं जिनके श्रीचरणों में दिग्गज लोग शीष नवाते हैं।

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​असली नाम है गिरधर मिश्रा​

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज चित्रकूट में रहते हैं। उनका असली नाम गिरधर मिश्रा है, उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था।

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​जगद्गुरु रामानन्दाचार्य​

वे रामानन्द संप्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर साल 1988 से प्रतिष्ठित हैं।

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​तुलसी पीठ के संस्थापक​

वह चित्रकूट में स्थित तुलसी पीठ एवं जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं।

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​बचपन में चली गई थी रोशनी​

जगद्गुरु रामभद्राचार्य जब सिर्फ दो माह के थे तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। फिर भी उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में) हैं।

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​पद्मविभूषण से सम्मानित​

वे केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।

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​पढ़ और लिख नहीं सकते ​

वे न तो पढ़ सकते हैं और न लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं।

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​मिले थे बागेश्वर धाम​

कुछ समय पहले बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री ने भी उनसे मुलाकात कर आशीर्वाद लिया था। संत समाज में भी रामभद्राचार्य जी काफी उच्च स्थान रखते हैं।

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​पहुंचे थे टीवी के राम​

बीते दिनों टीवी के राम के नाम से मशहूर अभिनेता अरुण गोविल भी रामभद्राचार्य जी महाराज से मिलने पहुंचे थे।

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