Jun 2, 2024

महाभारत का वो पात्र जिसके लिए अमर होना बन गया श्राप

Jayanti Jha

कई लोगों का मानना है कि महाभारत के युद्ध के बाद भी अश्वत्थामा जीवित थे।

Credit: Social

महाभारत में जब भी अश्वत्थामा का जिक्र आता है उन्हें गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे।

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अमरत्व प्रदान करने के साथ-साथ, अश्वत्थामा ने अपने जन्म के समय एक रत्न भी प्राप्त किया था।

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​मृत्यु भवन​

​पांडवों के पुत्रों की रात में छिप कर वध करने के चलते उन्हें भगवान श्री कृष्ण ने मृत्यु भवन में रहने का श्राप दिया था।​

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​अश्वत्थामा की तपस्थली ​

विंध्याचल की पहाड़ियों पर खोदरा महादेव विराजमान हैं। इस जगह को अश्वत्थामा की तपस्थली के रूप में पूजा जाता है।

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मान्यता है कि आज भी अश्वत्थामा यहां आते हैं।

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​महाभारत के युद्ध​

महाभारत के युद्ध के समाप्त होने के बाद कौरवों की ओर से सिर्फ तीन योद्धा ही बचे थे कृप, कृतवर्मा और अश्वत्थामा।

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अश्वत्थामा चुपचाप जंगलों की ओर चले गए थे। पांडव उनको खोजने में सफल नहीं हो पाए।

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कृष्ण के श्राप से वो वह अभी तक मृत्यु भवन में भटक रहे हैं।

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