Nov 4, 2022
जिन लोगों को तुलसी विवाह में शामिल होना होता है वो नहा धोकर तैयार होते हैं। जो तुलसी विवाह में कन्यादन की रस्म करते हैं उन्हें व्रत रखना जरूरी है।
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तुलसी के पौधे को आंगन में चौकी पर स्थापित करें और आप चाहे तो छत या मंदिर में भी तुलसी विवाह करा सकते हैं।
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एक दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें। साथ ही चौकी पर अष्टदल कमल भी बनाए। इसके ऊपर जल से भरा कलश स्थापित करें।
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कलश पर स्वास्तिक बनाएं और आम के पांच पत्ते वृत्ताकार में रखें। अबे नए लाल कपड़े में नारियल लपेटकर उसे कलश के ऊपर सजाए गए आम के पत्तों के ऊपर रख दें।
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तुलसी के गमले में गेरू लगाएं। साथ ही गमले के पास जमीन पर भी उससे रंगोली बना लें। इसके बाद तुलसी के गमले को शालिग्राम की चौकी के पास दाएं तरफ रख दें।
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तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद गंगाजल में फूल डुबाकर ‘ॐ तुलसाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए गंगाजल का छिड़काव तुलसी और शालिग्राम पर करें। अब तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का टीका लगाएं।
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तुलसी के गमले की मिट्टी में गन्ने से मंडप बनाएं और तुलसी के पौधे पर सुहाग का प्रतीक लाल चुनरी ओढ़ा दें। इसके साथ ही गमले को साड़ी लपेट कर तुलसी को चूड़ी पहनाएं। शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराकर पीला वस्त्र पहनाएं।
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इसके बाद तुलसी और शालिग्राम की हल्दी करने के लिए दूध में हल्दी भिगोकर उन्हें लगाएं। साथ ही गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाएं।
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शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा करें। इस बात का खास ख्याल रखें कि शालिग्राम की चौकी घर का कोई पुरुष सदस्य ही गोद में उठाये। तुलसी विवाह के दौरान मंगल गीत जरूर गाएं।
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पूजन के समय फल, फूल इत्यादि शामिल करें। तुलसी की आरती करके तुलसी विवाह संपन्न हो जाने की घोषणा करें। प्रसाद सभी में बांट दें।
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इस दिन तुलसी और शालिग्राम को खीर और पूड़ी का भोग लगाएं।
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