May 4, 2024
वास्तु शास्त्र में घर के हर हिस्से के लिए कुछ-न-कुछ नियम बनवाए गए हैं। घर बनवाते समय वास्तु नियमों का ध्यान रखा जाना जरूरी है।
Credit: canva
वास्तु शास्त्र में बाथरूम को घर की ऐसी जगह माना गया है जहां पर सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। इसलिए यहां पर वास्तु नियमों का खास ख्याल रखना पड़ता है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन के सामने या मेन गेट के सामने कभी भी शौचालय नहीं बनवाना चाहिए। इससे घर में वास्तु दोष लगता है।
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इसके साथ ही शौचालय की टॉयलेट सीट हमेशा पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का टॉयलेट कभी भी उत्तर दिशा या उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। शास्त्रों में इस दिशा भगवान कुबेर और धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है।
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घर की उत्तर दिशा में बना शौचालय रोजगार संबंधी परेशानियों को उत्पन्न करता है। इस दिशा में बने शौचालय वाले घरों में रहने वाले लोगों को धन कमाने के अवसर मुश्किल से ही मिल पाते हैं और वे अपने जीवन में आगे भी नहीं बढ़ पाते हैं।
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पूर्व दिशा का संबंध सूर्य से है। यह सामाजिक संबंधों की दिशा भी है। अतः इस दिशा में शौचालय होने से यह सामाजिक रिश्तों को खराब करता है। लेकिन, इस दिशा में स्न्नानाघर शुभ माना गया है।
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शौचालय में खिड़की या दरवाजा कभी भी दक्षिण दिशा में ना हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय में सिरेमिक टाइल्स का इस्तेमाल करना चाहिए। फर्श का ढलान ईशान, पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए।
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बाथरूम भी कभी भी दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। इससे घर के सदस्यों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और अक्सर घर में कोई न कोई बीमार रहता है।
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