Dec 11, 2024

प्रयागराज में ही क्यों लगता है महाकुंभ?

Laveena Sharma

2025 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन

वैदिक पंचांग के हिसाब से हर 12 साल बाद पौष पूर्णिमा तिथि के दिन प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। जो महाशिवरात्रि तक चलता है।

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महाकुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व

महाकुंभ मेले में लाखों संख्या में साधु और संत शामिल होते हैं। कहा जाता है कि महाकुंभ मेले में शाही स्नान करने से मनुष्य को सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है।

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2025 में महाकुंभ मेले का आरंभ 13 जनवरी से होगा और इसका समापन 26 फरवरी को होगा।

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ मेले का आयोजन हमेशा प्रयागराज में ही क्यों होता है?

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प्रयागराज में इसलिए लगता है महाकुंभ

प्रयागराज में ही गंगा- यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है। जिसके कारण यह स्थान अन्य जगहों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

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महाकुंभ की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुंभ मेले की शुरुआत की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई हैं। कहते हैं जब देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया। तो उस मंथन से अमृत का घट निकला।

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इसलिए 12 साल बाद लगता है महाकुंभ

कहा जाता है कि समुद्र से निकले अमृत की कुछ बूंदें चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। इसी कारण इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच युद्ध 12 सालों तक चला था। इसलिए हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।

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महाकुंभ के समय दुनियाभर से भक्त त्रिवणी संगम में स्नान करने के लिए आते हैं।

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महाकुंभ में स्नान का खास महत्व

कहते हैं महाकुंभ के दौरान इन तीनों नदियों के संगम में जो व्यक्ति शाही स्नान करता है। उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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