Dec 11, 2024
वैदिक पंचांग के हिसाब से हर 12 साल बाद पौष पूर्णिमा तिथि के दिन प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। जो महाशिवरात्रि तक चलता है।
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महाकुंभ मेले में लाखों संख्या में साधु और संत शामिल होते हैं। कहा जाता है कि महाकुंभ मेले में शाही स्नान करने से मनुष्य को सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है।
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प्रयागराज में ही गंगा- यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है। जिसके कारण यह स्थान अन्य जगहों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुंभ मेले की शुरुआत की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई हैं। कहते हैं जब देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया। तो उस मंथन से अमृत का घट निकला।
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कहा जाता है कि समुद्र से निकले अमृत की कुछ बूंदें चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थीं। इसी कारण इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच युद्ध 12 सालों तक चला था। इसलिए हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
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कहते हैं महाकुंभ के दौरान इन तीनों नदियों के संगम में जो व्यक्ति शाही स्नान करता है। उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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