Feb 17, 2025
सनातन संस्कृति के 16 संस्कारों में से एक विवाह एक ऐसा बंधन होता है जिससे वर-वधु गृहस्थ आश्रम में प्रवेश कर जीवन यापन करते हैं।
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हिंदू धर्म में मुहूर्त समय मापने की एक इकाई होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ मुहूर्त में किए गए सिद्ध और फलदायी होते हैं।
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प्राचीन काल से ही पूजा, हवन, यज्ञ और संस्कारों जैसे अनुष्ठानों के लिए मुहूर्त की गणना ऋषि-मुनि किया करते थे। विवाह में हर मुहूर्त महत्वपूर्ण होता है।
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मुहूर्त में यदि ग्रह और नक्षत्र शुभ युति या संयोग में होते हैं तो वर-वधु को ब्रह्मांड की शक्तियों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे उनका जीवन खुशहाल रहता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुहूर्त को चंद्र और ग्रहों की स्थिति से देखा जाता है। हर ग्रह जातक के जीवन से जुड़े होते हैं जिनकी ऊर्जा से व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है।
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विवाह जैसे शुभ कार्य के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, नवग्रहों की स्थिति देखकर ही शुभ मुहूर्त निकाला जाता है ताकि कार्य सफल हो।
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शुभ मुहूर्त का आरंभ होना संस्कारों की शुरुआत माना जाता है। शुभ मुहूर्त में देवी-देवताओं का अनुसरण करके ही विवाह में मंत्र पढ़े और कहे जाते हैं।
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आज के मॉडर्न समय में भी वर-वधु का परिवार विवाह की तिथि बिना पंडितों की सलाह के तय नहीं करते हैं। आज भी मुहूर्त का उतना ही महत्व होता है।
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मुहूर्त केवल समय की शुभ गण��ा ही नहीं बल्कि एक निर्धारित काल होता है जिसमें किए कार्यों से देवी-देवताओं का आशीर्वाद वरदान स्वरूप में मिलता है।
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