Nov 29, 2024
डे-नाइट और डे टेस्ट मैच में इस्तेमाल की जाने वाली गेंदों में पहला अंतर रंग का होता है। पिंक बॉल को डे-नाइट टेस्ट के लिए ही विकसित किया गया था।
Credit: Twitter
फ्लड लाइट में रेड बॉल नहीं दिखाई देती है ऐसे में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाता है। दिन में खेले जाने वाले टेस्ट में रेड बॉल आसानी से दिखाई देती है।
Credit: BCCI/-Cricket-Australia/Twitter
पिंक बॉल की सिलाई के लिए काले रंग के धागे का इस्तेमाल होता है। वहीं रेड बॉल की सिलाई के लिए सफेद धागे का इस्तेमाल होता है।
Credit: BCCI/-Cricket-Australia/Twitter
पिंक और रेड बॉल दोनों को चमकाने के लिए लेकर पॉलिश का इस्तेमाल होता है। पिंक बॉल में चमक ज्यादा होती है जबकि रेड बॉल की कम। इसी वजब से रात में रोशनी में पिंक बॉल ज्यादा साफ दिखाई देती हैं। ज्यादा लेकर लगाने से गेंद की उम्र भी बढ़ जाती है।
Credit: BCCI/-Cricket-Australia/Twitter
पिंक बॉल रेड बॉल की तुलना में ज्यादा स्विंग होती है खासकर शुरुआती ओवरों में। ऐसा उसको चमकाने के लिए लगाई गई लेकर पॉलिश की वजह से होता है।
Credit: BCCI/-Cricket-Australia/Twitter
पिंक बॉल का वजन पारंपरिक रूप से टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली लाल गेंद के बराबर होता है। दोनों का वजन ने 156 से 161 ग्राम के बीच होता है।
Credit: Twitter
Thanks For Reading!
Find out More